Thursday, June 3, 2010
Thoughts
Sometime your expectation is too high. You miss to take the pleasure of your current situation and you started depressing/feeling awful what you have missed.
Sunday, February 7, 2010
आज हमको दिल मैं बसाले सनम ...
हम को आज दिल की बाते सुना के सनम (म्मम्म म्मम्म )
आगे यु (ऊऊऊ ) हमको ... बडा (आअ) के सनम म्मम्म ....
रहो (औ औ.. ) मैं मेरी खड़ी थी कही …. \\
मेर सपनो मैं घर है किये ….
मेरे दिल मैं सपने तेरे हर घडी …
दिल भी न जाने क्या क्या कह रहा …
आखो को आखो से मिला दे सनम (म्म्मम्म्म्मम्म)…
दिल की रहो मैं बस जा ॥ ऐ सनम …
हम तो अकेले अकेले ही थे …
गमो के तले हम थे दबे ..
जो तेरी आँखों हमें छु लिया …
आखो से दिल मैं नज़र जो चुबी …
दिल की हर कली ... आज ही खिल गयी …
राहे अअब तो लगे है हँसी …
मत पुचो .. क्या क्या हो रहा …
बिना बोले है जो तुने कहा …
आखे ही अपनी कहानी कहे …
इन्हे आज जो कोई देख ले …
सुन ने वाले आज सुन ले …
गमो के अँधेरे है अब छट गए ..
तेरी रहो मैं हम डट गए …
.....................................
आगे यु (ऊऊऊ ) हमको ... बडा (आअ) के सनम म्मम्म ....
रहो (औ औ.. ) मैं मेरी खड़ी थी कही …. \\
मेर सपनो मैं घर है किये ….
मेरे दिल मैं सपने तेरे हर घडी …
दिल भी न जाने क्या क्या कह रहा …
आखो को आखो से मिला दे सनम (म्म्मम्म्म्मम्म)…
दिल की रहो मैं बस जा ॥ ऐ सनम …
हम तो अकेले अकेले ही थे …
गमो के तले हम थे दबे ..
जो तेरी आँखों हमें छु लिया …
आखो से दिल मैं नज़र जो चुबी …
दिल की हर कली ... आज ही खिल गयी …
राहे अअब तो लगे है हँसी …
मत पुचो .. क्या क्या हो रहा …
बिना बोले है जो तुने कहा …
आखे ही अपनी कहानी कहे …
इन्हे आज जो कोई देख ले …
सुन ने वाले आज सुन ले …
गमो के अँधेरे है अब छट गए ..
तेरी रहो मैं हम डट गए …
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Tuesday, February 2, 2010
अँधेरा बहुत घना था ....
रास्ते थे मुस्किल ..
राह मैं थी कठिनाइया …
आज दिल भी भारी हो रहा था ..
सुबह से मन मैं कोई सुइया चुभो रहा था ..
पता नहीं क्या हो रहा था …
मैं आज आखो से नहीं दिल से रो रहा था …
आखे आज सबको हमारी उदासी दिखा रही थी ...
चेहरा भी आज पतजड के मौसम की तरह मुर्जय हुआ था …
वक़्त ने तो आज न चलने की कसम खा ली थी …
हर पल मैं तन्हाइयो की लहरों मैं डूबता जा रहा था …
लग रहा था आज का कभी अंत भी होगा या नहीं …
रात होने को थी ..
राहे धुंधली से हो रही थी …
गम का सागर तान्हाहियो की लहरों को लीये हुए …
बहुत दूर दूर तक कोई बचने वाला नहीं दिख रहा था…
मैं आज आपने आप को कही और ही पा रहा था …
बिच समुन्दर मैं अकेला छोटी से नाव मैं …
अंधरे के काले बादल आज तारो को भी छुपा रहे थे …
हमारी किस्मत भी आज कोई खेल खेल रही थी …
हम तो आज चाँद को देख कर ही खुस होने की सोच रहे थे …
पर अंधेरो के काले बदलो ने आज सब कुछ छुपा लिया था …
अँधेरा इतना घना था की हम तो आपने आप को भी महसूस नहीं कर पर रहे थे ..
फिर उस समय जब लग रहा था …
आज तो जीवन का अनत ही है ..
तो मैं आपने गुरु और भगवान को याद किया …
जीवन का आखरी पल समाज कर अंतिम प्रणाम किया …
उस के बाद तो मुझे कुछ याद नहीं …
कब मेरी आख लगी और सवेरा हो गया …
.......
राह मैं थी कठिनाइया …
आज दिल भी भारी हो रहा था ..
सुबह से मन मैं कोई सुइया चुभो रहा था ..
पता नहीं क्या हो रहा था …
मैं आज आखो से नहीं दिल से रो रहा था …
आखे आज सबको हमारी उदासी दिखा रही थी ...
चेहरा भी आज पतजड के मौसम की तरह मुर्जय हुआ था …
वक़्त ने तो आज न चलने की कसम खा ली थी …
हर पल मैं तन्हाइयो की लहरों मैं डूबता जा रहा था …
लग रहा था आज का कभी अंत भी होगा या नहीं …
रात होने को थी ..
राहे धुंधली से हो रही थी …
गम का सागर तान्हाहियो की लहरों को लीये हुए …
बहुत दूर दूर तक कोई बचने वाला नहीं दिख रहा था…
मैं आज आपने आप को कही और ही पा रहा था …
बिच समुन्दर मैं अकेला छोटी से नाव मैं …
अंधरे के काले बादल आज तारो को भी छुपा रहे थे …
हमारी किस्मत भी आज कोई खेल खेल रही थी …
हम तो आज चाँद को देख कर ही खुस होने की सोच रहे थे …
पर अंधेरो के काले बदलो ने आज सब कुछ छुपा लिया था …
अँधेरा इतना घना था की हम तो आपने आप को भी महसूस नहीं कर पर रहे थे ..
फिर उस समय जब लग रहा था …
आज तो जीवन का अनत ही है ..
तो मैं आपने गुरु और भगवान को याद किया …
जीवन का आखरी पल समाज कर अंतिम प्रणाम किया …
उस के बाद तो मुझे कुछ याद नहीं …
कब मेरी आख लगी और सवेरा हो गया …
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